श्री सुमंगलम् परिवार संकल्प
स्वामी विवेकानंद जी और स्वामी राम कृष्ण परमहंस के प्रेरणा को आधार मानकर समाज के संवेदनशील लोगों ने श्री सुमंगलम् को माध्यम बनाकर अपना जीवन यथार्थ कर रहे हैं। रघुनाथ और विश्वनाथ के देश में कोई अनाथ नही हो सकता। अनुभव में आ रहा है कि वृद्धाश्रम, विधवाश्रम और अनाथालयों की पृथक योजना नकारात्मकता के दिशा में बढ़ रहे हैं। सुमंगलम् परिसर में तीनों को मिलाकर परिवारश् की संकल्प है। जहां निराश्रित बच्चों, महिलाओं और वृद्धजनों का एक परिवार भारतीय संस्कृति के आधार पर निर्मित है। परस्पर आत्मीयता एक-दूसरे के जीवन में आनंदपूर्वक सहकार सुखद जीवन का अहसास कराता है। इसका लघु रूप सेवा परिसर में दृष्टिगोचर हो रहा है।
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सुमंगलम्
इन्हीं महापुरुषों के संकेतों को आधार मानकर समाज के संवेदनशील लोगों ने श्री सुमंगलम् को माध्यम बनाकर अपना जीवन यथार्थ कर रहे हैं। रघुनाथ और विश्वनाथ के देश में कोई अनाथ नहीं हो सकता। अनुभव में आ रहा है कि वृद्धाश्रम, विधवाश्रम और अनाथालयों को पृथक योजना नकारात्मकता के दिशा में बढ़ रहे हैं। सुमंगलम परिवार की संकल्पना है।
महापुरुषों
Our Initiatives
कौशलम्
चलें आत्मनिर्भरता की ओर
परिसर के आस-पास गाँवों की बच्चियों और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास सफलतापूर्वक चल रहा है।इन्हें सिलाई-कढ़ाई एवं सौन्दर्य निखार के गुण के साथ-साथ दैनिक कार्यों में भी दक्षता प्रदान किया जा रहा है।
फुलवारी
एक प्रयास-शिक्षा से संस्कार तक
चांड़ी तथा आस-पास गाँव के बच्चे जो प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाई करते हैं या स्कूल ही नहीं जाते उन बच्चों को शिक्षा और संस्कार देने का प्रयास ही फुलवारी है।...
पूज्य रज्जू पैया होम्योपैथिक दवा केंद्र
मुख्य मार्ग से 3 किमी दूर गंगा जी के किनारे होने के कारण चिकित्सा सेवा का बड़ा अभाव है।पिछड़ा क्षेत्र होने के कारण आर्थिक कमजोरी आधुनिक चिकित्सा के लिए वहनीय नहीं है। इसके साथ ही साथ इलाहाबाद के प्रसिद्ध नर्सिंग होमों द्वारा करवाया जाता है।
हमारा लक्ष्य
स्वामी विवेकानंद जी और स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी की शिक्षाओं को जीवन का आधार बनाकर सेवा का कार्य करना।
वृद्धजनों, विधवाओं और निराश्रित बच्चों के लिए पृथक-पृथक संस्थानों की बजाय, एक संयुक्त पारिवारिक सेवा परिसर का निर्माण और संचालन करना।
एक ऐसा वातावरण निर्मित करना जिसमें परस्पर आत्मीयता, सहानुभूति और सहयोग के भाव से सभी सदस्य सम्मानपूर्वक और आनंदपूर्वक जीवन व्यतीत करें।
समाज के संवेदनशील नागरिकों को इस सेवा-यज्ञ में सहभागी बनाना और जीवन को यथार्थ करने की दिशा में प्रेरित करना।
भारतीय संस्कृति, मानवीय मूल्यों और आत्मनिर्भरता के सिद्धांतों को आधार बनाकर, एक आदर्श सेवा मॉडल प्रस्तुत करना।
हमारा ध्येय
स्वामी विवेकानंद जी और स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी की आध्यात्मिक शिक्षाओं से प्रेरित एक ऐसे समरस समाज की स्थापना, जहाँ वृद्धजन, विधवाएँ और अनाथ बच्चे किसी संस्था के 'निवासी' नहीं, बल्कि एक ही परिवार के 'सदस्य' हों।
हमारी दृष्टि एक ऐसे सेवा-परिसर की है जो केवल आश्रय नहीं, बल्कि अपनापन, आत्मीयता और गरिमा से परिपूर्ण जीवन प्रदान करे। भारतीय संस्कृति की जड़ों से जुड़कर, हम एक ऐसे 'परिवार' की रचना कर रहे हैं जहाँ हर व्यक्ति को मानवीय गरिमा, प्रेम और सहयोग के साथ जीवन जीने का अवसर प्राप्त हो।
यह परिसर न केवल एक सामाजिक संरचना है, बल्कि एक जीवंत उदाहरण है कि जब संवेदनशील लोग एक संकल्प के साथ आगे बढ़ते हैं, तो कैसे एक सकारात्मक, समावेशी और आनंदमय समाज का निर्माण संभव है।